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शुक्रवार, 24 जनवरी 2025

न्यूट्रिशन, पाचन, अवशोषण और न्यूट्रिशन का विज्ञान

 **न्यूट्रिशन, पाचन, अवशोषण और न्यूट्रिशन विज्ञान**

मनुष्य के स्वास्थ्य जीवन जीने लिए उचित पोषण अत्यधिक आवश्यक है। शरीर के विकास, वृद्धि, ऊर्जा और रोगों से बचाव के लिए न्यूट्रिशन (पोषण) बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस ब्लॉग में हम न्यूट्रिशन, पाचन, अवशोषण और न्यूट्रिशन विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से समाज में रह रहे मनुष्यों के मददगार पहलुओं पर विस्तार से जानकारी देने का कोशिश कर रहे हैं।

** न्यूट्रिशन (पोषण) क्या है?

न्यूट्रिशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य का शरीर भोजन से आवश्यक पोषक तत्वों को प्राप्त करता है और उनका उपयोग करता है। यह जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न पोषक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज और पानी की आपूर्ति करता है। इसमें भोजन का सेवन,पाचन, अवशोषण, शरीर द्वारा पोषक तत्वों को आत्मसात करना, शरीर में नए यौगिक का निर्माण, विघटनकारी चयापचय (केटबॉलिज्म) व उत्सर्जन भी शामिल है। आहार के पाचन और अवशोषण के बाद बच गए अवशिष्ट को शरीर से बाहर निकल दिया जाता है। न्यूट्रिशन साइंस वह विज्ञान है जो जीवों के शारीरिक विकास, रखरखाव, प्रजनन, स्वास्थ्य और बीमारियों के संदर्भ में आहार में उपलब्ध पोषक एवं अन्य तत्वों की पारस्परिक प्रतिक्रियाओं की व्याख्या करता है।

** न्यूट्रिशन के प्रमुख घटक जो कि इस प्रकार है:- 

1. कार्बोहाइड्रेट:- यह शरीर के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत हैं।

2. प्रोटीन:- शरीर की वृद्धि और मरम्मत में सहायता करता है।

3. वसा:- ऊर्जा का संग्रह करता है और कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है।

4. विटामिन:- शरीर की जैविक प्रक्रियाओं को विनियमित करते हैं।

5. खनिज:- हड्डियों और दांतों के विकास के लिए आवश्यक हैं।

6. पानी:- शरीर में पोषक तत्वों के परिवहन और विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायता करता है।

**पाचन (डाइजेशन) क्या है?

पाचन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें भोजन द्वारा हमारा शरीर भोजन को छोटे, घुलनशील पदार्थों में परिवर्तित करता है ताकि उन्हें अवशोषित किया जा सके। यह प्रक्रिया विभिन्न अंगों और एंजाइम्स के सहयोग से होती है। पाचन एवं अवशोषण के बाद जो शरीर के लिए अनुपयोगी अपशिष्ट पदार्थ बच जाते है,वे शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं।

** पाचन की प्रक्रिया:- 

1. ओरल कैविटी:- भोजन को चबाना और लार के एंजाइम्स के साथ मिलाना।

2. ग्रासनली:- भोजन को पेट तक पहुंचाना।

3. आमाशय:- भोजन को अम्लीय वातावरण में पचाना।

4. छोटी आंत:-पाचन एंजाइम्स की सहायता से पोषक तत्वों को तोड़ना।

5. बड़ी आंत:- पानी और खनिजों का अवशोषण करना।

6. मल निष्कासन:- अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकलाना होता है।

 **अवशोषण (Absorption) क्या है?

अवशोषण वह प्रक्रिया है जिसमें पाचन के बाद भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों को छोटी आंत की दीवारों के माध्यम से रक्त प्रवाह में स्थानांतरित किया जाता है। यह शरीर की कोशिकाओं तक पोषक तत्वों को पहुंचाने में मदद करता है। दूसरे शब्दों में हम भोजन के सेवन व पाचन के बाद बचे अपशिष्ट को शरीर से निकालने की संपूर्ण क्रियाविधि के बीच की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया अवशोषण है।

** अवशोषण की प्रक्रिया:- 

1. छोटी आंत में अवशोषण:- यहाँ अधिकांश पोषक तत्वों का अवशोषण होता है।

2. सूक्ष्म रंध्रों:- ये छोटी आंत की सतह को बढ़ाते हैं और पोषक तत्वों के अवशोषण में सहायक होते हैं।

3. रक्त प्रवाह में मिलना:- अवशोषित पोषक तत्व रक्त द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँचाया जाता है।

**न्यूट्रिशन विज्ञान क्या है?

न्यूट्रिशन विज्ञान वह विज्ञान है जो शरीर में पोषक तत्वों के प्रभाव, आवश्यकताओं, और उनके उपयोग की प्रक्रिया को समझने में सहायता करता है। यह स्वास्थ्य को बनाए रखने और विभिन्न बीमारियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। न्यूट्रिशन साइंस की मदद से पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति की जा सकती है।

**न्यूट्रिशन विज्ञान का महत्व:- 

न्यूट्रिशन विज्ञान की मदद से पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति की जा सकती है। न्यूट्रिशन विज्ञान की मदद से खाद्य पदार्थों व वनस्पति, जरी - बूटीयों में मौजूद पोषक तत्वों के साथ साथ विभिन्न फाइटोकेमिकल्स को उनके गाढ़े शुद्ध रूप में निचोड़ जा सकता है। व इनके सप्लीमेंट उपलब्ध हैं। पेड़ पौधों से निकले गए इन शुद्ध पोषक तत्वों में कोई अन्य तत्व या अशुद्धि नहीं होती जो इनके अवशोषण में रुकावट डाल सके।

उदाहरण के द्वारा आपको आसान भाषा में समझने की हम कोशिश करते हैं:- टमाटर में लाइकोपिन पाया जाता है जो कि एक एंटीऑक्सीडेंट है जो टमाटर खाने से हमें कभी भी आसानी से हमारे शरीर को प्राप्त नहीं हो सकता है। लेकिन न्यूट्रिशन विज्ञान की सहारे टमाटरों से रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा हम लाइकोपिन प्राप्त कर सकते हैं और हम अपने शरीर को सप्लीमेंट के रूप में सेवन के लिए उपलब्ध करवा सकते हैं।

सारांश :- 

न्यूट्रिशन, पाचन और अवशोषण स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।पोषण हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है और हमें विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है। न्यूट्रिशन विज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि हमें कब, क्या और कितना खाना चाहिए ताकि हमारा शरीर स्वस्थ और सक्रिय बना रहे। यह मानव जीवन हमें बड़ी जिम्मेदारी को निभाने के लिए मिली है और उन जिम्मेदारी की पूर्ति के लिए हमें स्वास्थ्य जीवन बहुत ही ज्यादा जरूरी है। और इसके लिए आपको सभी जीवों को न्यूट्रिशन विज्ञान की आवश्यकता है।


बुधवार, 22 जनवरी 2025

Intermittent Fasting (अंतर्कालीन उपवास)

 इंटरमिटेंट फास्टिंग (अंतर्कालीन उपवास) 

अंतर्कालीन उपवास सदियों से पूरे संसार में भर में सभी मानव जाति के द्वारा अपनाया गया शारीरिक और मानसिक पुनर्निर्माण या समीक्षा या नवीनीकरण का एक सुंदर तरीका है।

जिसमें लोग कुछेक समय तक स्वेच्छा से उपवास का पालन किया जाता है।इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) शरीर को एक निश्चित समय तक भोजन ना दे करके मेटाबोलिज़्म (metabolism) को उत्तेजित करना और वजन घटाने में मदद करना है। पिछले कुछ वर्षों में, इंटरमिटेंट फास्टिंग को एक प्रभावी और लोकप्रिय वजन घटाने के तरीके के रूप में देखा जा रहा है।

इसमें उपवास की अवधि और खाने की अवधि के बीच संतुलन बना के रखा जाता है।


इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार:- 

इंटरमिटेंट फास्टिंग करने के मुख्यतः दो ही प्रकार प्रचलित हैं:-

1. :रोजान उपवास :-  यह सबसे सामान्य और प्रभावी प्रकार है। इसमें 12 घंटे का उपवास और 12 घंटे का खाने का समय होता है। उदाहरण के तौर पर, आप सुबह 8 बजे से लेकर शाम 8 बजे तक भोजन कर सकते हैं और बाकी 12 घंटे केवल पानी या बिना कैलोरी वाला (ज्यूस)पेय पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।

2. :साप्ताहिक उपवास :-इस पद्धति में, सप्ताह में 6 दिन सामान्य भोजन किया जाता है, जबकि 1दिन का उपवास होता हैं। उपवास के दिनों में, आप केवल 500-600 कैलोरी का सेवन कर सकते हैं। इस विधि में कैलोरी की कमी से वजन घटाने में मदद मिलती है।


(कामकाजी लोगों के लिए सप्ताह में 1 या 2 बार 24 घंटे का उपवास रखा जाता है। उदाहरण के लिए, आप एक दिन रात 7 बजे भोजन करते हैं और अगले दिन रात 7 बजे तक कोई भोजन नहीं करते। यह एक लंबा उपवास होता है, जो शरीर को भोजन के बिना लंबे समय तक रहने की चुनौती देता है।)


*** इंटरमिटेंट फास्टिंग (अंतर्कालीन उपवास)के प्रभावकारी फायदे***

इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जिनमें से कुछ मुख्यतः इस प्रकार हैं:- 

1. **वजन घटाना या फिट रहने के लिए**:-  इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन घटाने में एक प्रभावी तरीका है। यह शरीर को अधिक समय तक उपवास में रहने का अवसर देता है, जिससे शरीर संग्रहीत फैट को ऊर्जा के रूप में उपयोग करता है। इसके अलावा, यह मेटाबोलिज़्म को तेज करता है और कैलोरी की कमी उत्पन्न करता है, जो वजन घटाने में सहायक होता है और भी शोधों से पता चला है कि दिनभर में 10 से 16 घंटे का उपवास रखने पर शरीर में जमा हुआ हमारा फैट का ईंधन के रूप में इस्तेमाल शुरू हो जाता है व इस प्रक्रिया में कीटोन बॉडीज नामक पदार्थ रक्त में प्रवाहित होने लगता है।

2. **मेटाबोलिज़्म में सुधार के लिए**:- उपवास के दौरान, शरीर में इंसुलिन का स्तर कम होता है, जिससे शरीर आसानी से फैट को जलाता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग से मेटाबोलिज़्म तेज हो सकता है और शरीर अधिक प्रभावी तरीके से कैलोरी जलाता है।

3. **हृदय को स्वास्थ्य रखने में**:- इंटरमिटेंट फास्टिंग हृदय स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। यह रक्तचाप (blood pressure), रक्त शर्करा (blood sugar), कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) और ट्राइग्लिसराइड्स (triglycerides) को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकते हैं।L

4. **लम्बी- उम्र के लिए**:- बरसों के शोध के अनुसार, उपवास से शरीर की कोशिकाएं नवीनीकरण और मरम्मत प्रक्रिया में तेजी से काम करती हैं, जिससे जीवनकाल बढ़ने की संभावना हो सकती है। यह कोशिकाओं में 'ऑटोफैगी' (autophagy) प्रक्रिया को उत्तेजित करता है, जिसमें पुरानी और खराब कोशिकाएं नष्ट होती हैं और नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।

5. **मानसिक स्वास्थ्य पर भी असरदार**:- इंटरमिटेंट फास्टिंग से मस्तिष्क में भी सुधार हो सकता है। यह मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स (neurotransmitters) के स्तर को बढ़ा सकता है और मानसिक स्पष्टता, ध्यान और स्मृति में सुधार कर सकता है। इसके अलावा, यह न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग के जोखिम को भी कम कर सकता है।

6. **डायबिटीज,हृदयरोग और कैंसर से बचाव** :-

अंतर्कालीन उपवास के फायदों में सबसे बड़ा फायदा यह है कि आजकल के भागदौड़ भरी जीवन-शैली के बीच हमें अपने स्वास्थ के प्रति नहीं सोच पाते हैं जिससे हमारे शरीर में डायबिटीज, हृदयरोग और कैंसर सेल्स जैसे घातक बीमारियों का घर बनाने लगता है और इन्हीं खतरनाक बीमारियों को शरीर में ही खत्म कने में इंटिमिटेंट फास्टिंग मददगार साबित होती है।

***इंटरमिटेंट फास्टिंग के संभावित नुकसान*** 

इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई फायदे हैं, लेकिन इसके कुछेक  नुकसान भी हो सकते हैं जो कि इस प्रकार हैं:- 

1. **भोजन की कमी से थकान**:लंबे समय तक भोजन न करने से थकान, चिड़चिड़ापन हो सकती  है। कुछ लोगों को उपवास के दौरान सिरदर्द या मूड स्विंग्स का सामना भी करना पड़ सकता है।

2. **गर्भवती महिलाओं,दूध पिलानेवाली मां और छोटे बच्चों के लिए जोखिम**:-  वो महिला जो गर्भवती है या कमजोर है और बच्चों को भी इंटरमिटेंट फास्टिंग अंतर्कालीन उपवास से बचना चाहिए, क्योंकि उनका शरीर विकास और पोषण की आवश्यकता की पूर्ति के लिए नियमित रूप से भोजन प्राप्त करता है।

3. **भूख का अत्यधिक तीव्र इच्छा होना**:-  कुछेक लोगों को उपवास के दौरान अत्यधिक भूख महसूस करते हैं, तो यह मानसिक और शारीरिक असुविधा पैदा कर सकता है। 

4. **पाचन समस्याएं**:- जब भी आप अंतर्कालीन उपवास शुरू करने की सोचते हैं तो आप इसकी शुरुआत pvmf के साथ शुरू करना चाहिए नहीं तो पाचन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।


** इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान खाने का सही तरीका**

इंटरमिटेंट फास्टिंग करते समय, यह महत्वपूर्ण है कि आप स्वस्थ और पौष्टिक भोजन करें ही साथ ही साथ ही साथ PVMF का भी ध्यान रखें और उनको अपने भोजन में शामिल करें।(प्रोटीन+विटामिन+मिनरल्स +फाइबर)

(किसी भी प्रकार के नाश्ते के बजाय अगर PVMF नाश्ता लेना सबसे उपयुक्त रहेगा)

1. **प्राकृतिक और ताजे खाद्य पदार्थों का सेवन करें**: -सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज, नट्स, बीज, और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें। यह आपको लंबे समय तक ताजगी और ऊर्जा प्रदान करेंगे।


2. **जल का सेवन अधिक करें**:-   उपवास के दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है। पानी, हर्बल चाय या ब्लैक कॉफी जैसे पेय पदार्थों का सेवन करें।

3. **पोषक तत्वों का हमेशा ध्यान रखें**:- अपने आहार में सभी आवश्यक पोषक तत्वों (जैसे प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, और मिनरल्स) का ध्यान रखें ताकि शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिल सके। 

 ** निष्कर्ष **

अंतर्कालीन उपवास एक प्रभावी और उपयोगी आहार करने का तरीका हो सकता है, जो वजन घटाने, मेटाबोलिज़्म सुधारने, और स्वास्थ्य लाभ में मदद करता है। हालांकि, इसे अपनाने से पहले किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ या डायटिशियन , न्यूट्रीशनकाउंसलर से सलाह लेना जरूरी है, खासकर यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है। यदि सही तरीके से किया जाए, तो यह एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका हो सकता है स्वस्थ जीवन जीने का।और एक बात पे ज्यादा ध्यान दें कि खाना खाने के दौरान हमें पर्याप्त मात्रा में उच्च प्रोटीन लेना चाहिए यकीन हमारी मसल्स की हानि न हो।

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शनिवार, 18 जनवरी 2025

( एल्कलाइन वाटर) क्षारीयर पानी के फायदे

 एल्कलाइन वाटर यानि कि क्षारीय पानी के फायदे


क्षारीय पानी स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में कई तरह से उपयोगी है।

इसलिए की साधारण कल के पानीं की ph लेवल जो होता है वह क्षारीय पानी के अपेक्षाकृत कम होता है इसलिए यह खून एवं मूत्र के  ph को संतुलन को सुधारने और मानव के शरीर में पानी की मात्रा तुरंत बढ़ाकर हमारे डिहाइड्रेशन से घटी हुई शारीरिक ताकत व रक्त के मोटापे को सामान्य करने में सादे पानी से जयदेव बेहतर साबित होता है।

इसके साथ ही आंतों के मददगार फ्लोरा को बचाकर बदहजमी व आईबीएस जैसे पेट के रोग में पेटदर्द व डायरिया पेटखराब से आराम देने में एवं  शरीर द्वारा पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण में भी लाभकारी होता है।

हानिकारक फ्री- रेडिकल्स के द्वारा शरीर के कोशिकाओं को होने वाली हानि को रोक थाम से बढ़ती उम्र के असर को धीमा करने व पेनक्रियाज के इंसुलिन बनानेवाली कोशिकाओं की सुरक्षा कर डायबिटीज  अन्या अनेकों तरह की बीमारियों से बचाव में भी एल्कलाइन पानी मददगार साबित होता है।

एल्कलाइन वाटर यानि कि क्षारीय पानी वजन घटाने व मानसिक स्थिति और हड्डियों को मजबूत बनाने यानी कि हड्डियों के खोखलापन और ऑस्टियोपोरोसिस रोग के होने से भी हमें बचाता है।

अगर हम अपने जीवन शैली में एल्कलाइन वाटर का इस्तेमाल करते है तो यह ब्लड शुगर कंट्रोल कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल ब्लडप्रेशर के सामान्य स्तर को सामान्य बनाए रखने में भी हमारी मदद करता है।

अगर हम एल्कलाइन वाटर में मिनरल्स की मात्रा को थोड़ा बढ़ाकर अगर एल्कलाइन वाटर का उपयोग करते हैं तो यह हृदय रोग , रक्तसंचार से जुड़े रागों और कैंसर में रोकथाम एवं असमय मौत के होने वाली घटनाओं में भी हमारी मदद कर सकता है।

एल्कलाइन वाटर यानि कि क्षारीय पानी बनाने के कुछ घरेलू तरीके जो हमारे किचेन सामग्री रोजमर्रा के समान से हम कर सकते हैं:- 





1. सामग्री :- पुदीने की पत्ती 20 या 25, अदरक 4 या 5ग्राम

20 या 25 तुलसी की पत्तियां, 25 ग्राम के लगभग खीरा का टुकड़ा , नींबू का टुकड़ा आधा कटा हुआ , हाफ चमचा सेंधा नमक और हाफ टी स्पून मीठा सोडा ।

बनाने की विधि:- 

इन सभी सामग्री को छोटे छोटे टुकडों में काटें।

नींबु को छिलका के साथ में हीं रखें 

इन सभी सामग्री को शीशे या मट्टी के बर्तन में डाल दें।

और उसमें डेढ़ लीटर पानी सामग्री को देखकर उस बर्तन में डालें और रातभर उस पानी के बर्तन को ढंक कर छोड़ दें और उसी पानी को दूसरे दिन दिनभर पीएं।





बुधवार, 8 जनवरी 2025

हमेशा जवान दिखने के लिए जरूरी बातें

 जीवन भर जवां कैसे रहे?

जिंदगी भर जवां रहने का कोई जादुई तरीका नहीं है, लेकिन विज्ञान और जीवनशैली में कुछ ऐसे बदलाव हैं, जिन्हें अपनाकर हम लंबे समय तक स्वस्थ, ऊर्जावान और जवां महसूस कर सकते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख विज्ञान-आधारित एवं खाद्य रूटीन दिए गए हैं:- 


1. स्वस्थ आहार (Balanced Diet)

एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर भोजन:जैसे कि फल, सब्जियाँ, नट्स,बीज और मोटे अनाज। ये फ्री रेडिकल्स को नियंत्रित करते हैं, जो एजिंग का कारण बनते हैं।

ओमेगा-3 फैटी एसिड: मछली, अखरोट, और (अलसी) तीसी या वेज ओमेगा केप्सूल का सेवन त्वचा और दिमाग को स्वस्थ रखता है।

सावधानी बरते:- 

प्रोसेस्ड फूड और शुगर से बचें: ये शरीर में सूजन (inflammation) बढ़ाते हैं और बुढ़ापे को तेज करते हैं।

2. शारीरिक व्यायाम (Physical Exercise)

कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग: सप्ताह में 4-5 दिन व्यायाम करने से मांसपेशियाँ मजबूत रहती हैं और ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है।

व्यायाम कम से कम 20 मिनट डेली करें अगर ये संभव न हो तो साइकिलिंग या ये नहीं तो मॉर्निंग 🌄 में खाली पैर 4000 कदम जरूर से जरूर चलें।

योग और स्ट्रेचिंग: ये शरीर को लचीला बनाए रखते हैं और तनाव को कम करते हैं।

3. तनाव प्रबंधन (Stress Management)

ध्यान और मेडिटेशन: यह दिमाग को शांत करता है और कोर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) को नियंत्रित करता है।

अच्छी नींद: रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद एजिंग प्रोसेस को धीमा करती है।

4. त्वचा की देखभाल (Skin Care)

संस्कृम ( Sanscream)का उपयोग: सूरज की यूवी किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। हर दिन सनस्क्रीन लगाएँ।

मॉइस्चराइज़र और हाइड्रेशन: त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए पानी और मॉइस्चराइज़र का उपयोग करें।

5. मानसिक स्वास्थ्य और खुशी (Mental Health and Happiness)

खुश रहने से आपके शरीर में सकारात्मक हार्मोन रिलीज होते हैं, जो एजिंग को धीमा करते हैं।

दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना, नई चीजें सीखना और पॉजिटिव सोच बनाए रखना जरूरी है।

6. सप्लीमेंट्स और वैज्ञानिक विधियाँ

 विटामिन C, D, और E सप्लीमेंट्स: एंटी-एजिंग गुणों के लिए जाने जाते हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग (अंतर्कालीन उपवास ) यह शरीर के सेल्स को रिपेयर करने में मदद करता है। नये सेल्स के निर्माण में मदद भी करता है।

पानी जो हम पीते हैं उसके pH लेवल का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

7. डिटॉक्स और हाइड्रेशन के नियम का पालन:- 

दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ।

(कम से कम सात ग्लास पानी )

समय-समय पर डिटॉक्स के लिए(नींबू पानी में पुदीना और आंवला रस, ग्रीन टी) से शरीर की सफाई के लिए जरूर पीएं।

8. आनुवंशिकी और जीन का प्रभाव(पूर्वजों से मिलना)

आपकी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया कुछ हद तक जीन पर निर्भर करती है, लेकिन लाइफस्टाइल से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

जवां रहने के लिए मुख्य बात यह है कि आप अपनी दिनचर्या में संतुलन बनाएँ, स्वास्थ्य को  प्राथमिकता दें और खुशी के साथ जीवन जिएँ। 

रोज व्यायाम पे ध्यान दें कम से कम २०मिनट तक।

विज्ञान लगातार नई खोजें कर रहा है, जिससे यह      संभव हो सकता है कि भविष्य में एजिंग को और बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सके।

सोमवार, 6 जनवरी 2025

लिवर के लिए हेल्दी और पौष्टिक शाकाहारी भोजन